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भारत में सांप से काटने से होने वाली मौतों का आंकड़ा कई गुना है। लेकिन क्या आपको पता है कि सरकार ऐसी मौतों पर मुआवजे देती है।

दुनिया में सांप की विभिन्न प्रजातियां पाई जाती हैं। आए दिन हम सभी कई ऐसी खबर से रूबरू होते हैं जहां कई लोगों की मौत सांप के काटने की वजह से होती है। पूरी दुनिया में 16 जुलाई को वर्ल्ड स्नेक डे मनाया जाता है। इसे मनाने के पीछे का उद्देश्य दुनिया ऊर में 3,000 से अधिक सांपों के प्रति लोगों को जागरूक करना है। प्रकृति में पाए जाने वाले सांपों में केवल 600 प्रजातियां जहरीली होती हैं और उनमें 7 प्रतिशत के काटने से लोगों की मौत होती है।
साल में कितने लोगों की सांप काटने से मौत होती है।
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार भारत में प्रत्येक वर्ष 58,000 लोगों की मौत सांप काटने की वजह से होती है। 97 फीसद लोगों की मौते ग्रामीण इलाकों में हुई है। सांप काटने से मरने वालों में महिलाओं के मुकाबले पुरुषों का प्रतिशत अधिक है।


सांप के काटने से मरने वालों मिलता है मुआवजा

भारत के कई राज्य सांप के दंश से मौत होने पर मृतकों के परिजनों को मुआवजा देते हैं। कृषि प्रधान देश होने के चलते अधिकतर आबादी आजीविका के लिए खेती पर निर्भर हें। खेतों में सांप काटने से होनी वाली मौतों को कई राज्यों ने आपदा में हुई मौत घोषित किया है।

बिहार सरकार ने साल 2022 में घोषणा की थी कि सांप काटने से होने वाले मृतक के परिवार को चार लाख रुपये मुआवजा के तौर पर दिया जाएगा।

केरल में सांप काटने से होने वाली राज्य सरकार मुआवजे के तौर पर पांच लाख रुपये देती है। वहीं उत्तर प्रदेश सरकार सांप के काटने पर मृत परिवार को चार लाख रुपये और अगर मृतक का परिवार किसान है तो एक लाख रुपये अतिरिक्त  दिए जाते हैं। 

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